Pr̥thvīrāja kī ān̐kheṃ: ekāṅkī-saṅgrahaGaṅgā Pustakamālā Kāryālaya, 1963 - 123 頁 |
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第 1 到 3 筆結果,共 37 筆
第 51 頁
... हुआ ? कमल ० : कष्ट ? जिनके दर्शनों के लिये न जाने कितने दिनों से लालसा थी , उनसे मिलने पर कष्ट ? यह पूछिए , आनंद कितना हुआ । आपके दर्शन ...
... हुआ ? कमल ० : कष्ट ? जिनके दर्शनों के लिये न जाने कितने दिनों से लालसा थी , उनसे मिलने पर कष्ट ? यह पूछिए , आनंद कितना हुआ । आपके दर्शन ...
第 61 頁
... हो , उन्हें यहाँ से बिदा कर दूं । इसीलिये मैंने उनके प्रश्नों के कितने रूखे उत्तर दिए ! अच्छा हुआ , वह स्वयं शीघ्र ही उठकर चले गए ...
... हो , उन्हें यहाँ से बिदा कर दूं । इसीलिये मैंने उनके प्रश्नों के कितने रूखे उत्तर दिए ! अच्छा हुआ , वह स्वयं शीघ्र ही उठकर चले गए ...
第 78 頁
... हुआ , " मेरा विवाह नहीं हुआ ! विष्णु ० : क्यों ? हरि ० : क्या कहूँ कि क्यों नहीं हुआ । [ गुलदस्ते का फूल हाथ में लेकर अन्यमनस्कता से ...
... हुआ , " मेरा विवाह नहीं हुआ ! विष्णु ० : क्यों ? हरि ० : क्या कहूँ कि क्यों नहीं हुआ । [ गुलदस्ते का फूल हाथ में लेकर अन्यमनस्कता से ...
常見字詞
०० ५० अच्छा अधिक अपना अपनी अपने अब अभिनेत्री अभी आँखें आँखों आज आप आपका आपकी आपके आपको इंस्पेक्टर इस ईश्वर उनके उन्हें उस उसकी उसके उसी उसे एक और कमल ० कमल० कर करता करते करने कहाँ का कि किया किशोर किसी की की ओर कुछ कुरता के लिये के साथ को क्या क्यों खून गई चंद चंपक को जब जाने जीवन जैसे जो तक तरह तुम तुम्हारे तो था थी थे दिन दिया दृष्टि देख देखकर दो नहीं नाटक नाम ने पर पास पृथ्वीराज प्रभा प्रवेश फिर बलदेव बहुत बात बादल भी महादेव मालती मिनट मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यदि यह यहाँ यही रहा है रही रहे ललिता लोग वर्ष वह विवाह विष्णु० वृद्ध वे शकुंतला शरीर शायद सकता सकती समय समीप सामने सुंदर से सेवा स्वर स्वर में हरि० हाँ हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ हृदय हैं होकर होता है