Pr̥thvīrāja kī ān̐kheṃ: ekāṅkī-saṅgrahaGaṅgā Pustakamālā Kāryālaya, 1963 - 123 頁 |
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第 20 頁
... कि मैं एक कवि से बातें कर रही हूँ । अच्छा , फिर क्या हुआ ? किशोर : [ गंभीर स्वर में ] मैं टहलने के लिये एकांत स्थान में जा रहा था कि एक ओर ...
... कि मैं एक कवि से बातें कर रही हूँ । अच्छा , फिर क्या हुआ ? किशोर : [ गंभीर स्वर में ] मैं टहलने के लिये एकांत स्थान में जा रहा था कि एक ओर ...
第 52 頁
... कि आप सब किस दिशा में हैं । कठिनता से आपके डेरे नज़र आए । जैसे किसी भक्त को भगवान् की उपासना में अनेक जगह गए भटकना पड़ता है , अंत में ...
... कि आप सब किस दिशा में हैं । कठिनता से आपके डेरे नज़र आए । जैसे किसी भक्त को भगवान् की उपासना में अनेक जगह गए भटकना पड़ता है , अंत में ...
第 63 頁
... कि तुम अपने भविष्य को मैला करने के लिये यहाँ से नहीं जाना चाहतीं । प्रभा : कमलजो , क्या आप जानती हैं कि मैं सुखी हूँ ? धन चरणों पर लोट ...
... कि तुम अपने भविष्य को मैला करने के लिये यहाँ से नहीं जाना चाहतीं । प्रभा : कमलजो , क्या आप जानती हैं कि मैं सुखी हूँ ? धन चरणों पर लोट ...
常見字詞
०० ५० अच्छा अधिक अपना अपनी अपने अब अभिनेत्री अभी आँखें आँखों आज आप आपका आपकी आपके आपको इंस्पेक्टर इस ईश्वर उनके उन्हें उस उसकी उसके उसी उसे एक और कमल ० कमल० कर करता करते करने कहाँ का कि किया किशोर किसी की की ओर कुछ कुरता के लिये के साथ को क्या क्यों खून गई चंद चंपक को जब जाने जीवन जैसे जो तक तरह तुम तुम्हारे तो था थी थे दिन दिया दृष्टि देख देखकर दो नहीं नाटक नाम ने पर पास पृथ्वीराज प्रभा प्रवेश फिर बलदेव बहुत बात बादल भी महादेव मालती मिनट मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यदि यह यहाँ यही रहा है रही रहे ललिता लोग वर्ष वह विवाह विष्णु० वृद्ध वे शकुंतला शरीर शायद सकता सकती समय समीप सामने सुंदर से सेवा स्वर स्वर में हरि० हाँ हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ हृदय हैं होकर होता है